आपकी गलती है
हम जिस अंग के प्रति
उत्सुकता लिए
और आकर्षित रहते हैं,
वो गंदगी का दूसरा नाम है !
दरअसल ‘मानव देह’ ही
गंदगी का दूसरा नाम है !
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कमियाँ सबमें होती हैं,
लेकिन नज़र
सिर्फ़
दूसरों में आती है !
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…..और कभी-कभी उपदेशक
‘उपदेश’ वाचन करते-करते
स्वमेव बिगड़ जाते हैं ।
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