कविता

काश ऐसा होता

काश ऐसा होता, काश ऐसा होता,
मन चाहे वो होता, काश ऐसा होता।
मन देखें वो जो सपने रातों में,
सच हो जाते वो दिन के उजालों में।
काश ऐसा होता काश ऐसा होता,
समंदर का पानी, जो है खारा,
पलक झपकते , मीठा हो जाता।
काश ऐसा होता काश ऐसा होता,
नीले आकाश में टिम-टिम करते तारे,
मेरे हाथों में आ जाते वो सब सारे।
काश ऐसा होता काश ऐसा होता,
हम सब रहते बादलों के ऊपर,
धरती से पानी बरसता हम सब पर।
काश ऐसा होता काश ऐसा होता
चिड़िया नदियों में डुबकियां लगाती,
मछलियों आसमां में पंख फैलाती।
काश ऐसा होता काश ऐसा होता,
सबके जीवन से दुख के हट जाए,
मुखड़े पर छा जाए , सुख का साये।
काश ऐसा होता काश ऐसा होता,
अंधेरा छट जाता सबके मन से,
स्नेह से मेरा, सपना सच हो जाता।
काश ऐसा होता , काश ऐसा होता,
मन चाहे जो होता , काश ऐसा होता।

— डॉ शीला चतुर्वेदी ‘शील’

डॉ. शीला चतुर्वेदी 'शील'

प्रधानाध्यापक आदर्श प्राथमिक विद्यालय, बैरौना, देवरिया एक शिक्षक के रूप में कार्य करते हुए मैं सामाजिक व कई शैक्षिक संगठनों से भी जुड़ी हुई हूं एवं इसके साथ ही एक कुशल गृहणी भी हूं। वर्तमान में (SRG) राज्य संसाधन समूह के पद पर कार्यरत हूँ । शैक्षिक योग्यता- M.Sc., M.Phil(Physics), B.Ed, Ph.D. साहित्य में भी रुचि रखती हूँ।