भर हौसले की उड़ान, कर समय की पहचान।
पहुँचना है मंज़िल तक, मन में दृढ़ निश्चय ठान।
चलते हैं हो कर निडर, रख कर सीनें में जिगर।
आएं आँधियाँ तुफान,भागे दूर जिन से डर।
सपने करते वो साकार, सिंह सी भरते हुंकार।
उबलता खून रगों में, कर नव चेतना संचार।
जो डर गया सो मर गया,डूब गया रे जो डर गया।
जो बुलंद हो कर बढ़ा, वो नाम रोशन कर गया।
निडर निर्भय जो बना, मुसीबत में सीना तना।
वो मार कर ही मरता, वीर भारत मां का जना।
ऐसे काम करो जग में, याद करे सारा जहान।
फरिश्ता बन के दिखाओ,बनो जगत में तुम महान।
मकड़ी बुनती ही रहती, तारों के अद्भुत है जाल।
कभी खुद नहीं है उलझे, है देखो कितना कमाल।
कभी गिरती कभी चढ़ती, निडर होती न भयभीत।
शिकार की ताक में रहती, मकसद जाती है जीत।
निडर के पैर नहीं कांपे,डग भरता जोशीले वो।
ध्वज फहराते लक्ष्य पर, लोग होते हठीले वो।
मुट्ठी में भर आसमान, करो नव चेतना आह्वान।
लड़ते रहो मुसीबत से, है जब तक रगों में जान।
— शिव सन्याल