कविता

निडर

भर हौसले  की  उड़ान, कर  समय  की पहचान।
पहुँचना है मंज़िल  तक, मन में दृढ़  निश्चय  ठान।
चलते हैं  हो  कर निडर, रख कर सीनें  में जिगर।
आएं   आँधियाँ   तुफान,भागे  दूर  जिन  से  डर।
सपने करते  वो साकार, सिंह  सी भरते   हुंकार।
उबलता  खून   रगों  में, कर नव  चेतना  संचार।
जो डर गया सो मर गया,डूब गया रे जो डर गया।
जो  बुलंद हो  कर बढ़ा, वो नाम रोशन कर गया।
निडर  निर्भय  जो बना, मुसीबत  में  सीना  तना।
वो  मार  कर  ही मरता, वीर भारत मां  का जना।
ऐसे  काम  करो  जग  में, याद  करे  सारा  जहान।
फरिश्ता बन के दिखाओ,बनो जगत में तुम महान।
मकड़ी  बुनती ही रहती, तारों  के अद्भुत है  जाल।
कभी खुद नहीं है उलझे, है  देखो कितना कमाल।
कभी गिरती कभी चढ़ती, निडर होती न भयभीत।
शिकार की ताक में रहती, मकसद  जाती है जीत।
निडर के  पैर नहीं  कांपे,डग  भरता  जोशीले  वो।
ध्वज  फहराते  लक्ष्य  पर, लोग  होते  हठीले   वो।
मुट्ठी  में भर आसमान, करो  नव  चेतना  आह्वान।
लड़ते रहो  मुसीबत  से, है जब तक  रगों में जान।
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995