लघुकथा – भूख
बार बार एक प्रकार की बात कर रहा है जैसे कहीं से रटा मारकर आया हो और उसकी जुबां ओर आंखें भी मेल नहीं खाती।ऐसा तभी होता जब कोई झूठ बोल रहा हो।
बिना कोई कारण तो झूठ कोई झूठ बोलता नहीं। पता लगाना ही पड़ेगा ही आखिर ऐसी क्या बात हो गई जो उसने ऐसा किया उन्होंने लोगों से पूछना आरंभ कर दिया कि इस तस्वीर मे जो लड़ का हे उसको जानते हतत ।तभी कुछ देर बाद आवाज आई ये बहुत गरीब है मेरे गांव में अपनी मां के साथ रहता है इसके पास तो खाने के लिए पैसे भी नही है। इसने किया क्या है उस आदमी ने पूछा
चोरी की है कि इसने और पूछने परकहानी बना रहा है अरे देखो भूख अच्छे सच्चो से भी चोरी करा देती है उन अफसर का दिल भी मलीनता से भर गया
— अभिषेक जैन