झुक जाइये.. रुक जाइये
रिश्ते अगर
झुकने से बच जाए,
तो झुक जाइये;
किन्तु बार-बार
झुकना पड़ जाए,
तो रुक जाइये !
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“भारत मे धर्म की
कोई कमी नही,
यहाँ लोगो को
रोटी चाहिए”
शायद
विवेकानन्द ने कहा है यह ।
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विकास जी,
मैं जानता हूँ….
आप भी मुझे
वोट नहीं करेंगे !
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