प्रेम
प्रेम से तुम भी कभी प्रेम करके तो देखो ,
प्रेम नस नस में न समा जाए तो कहना ।
प्रेम की बातें जरा प्रेम से करके तो देखो ,
प्रेम दिल में न भर जाए तो कहना ।
प्रेम के लिए जरा प्रेम से मिलकर तो देखो
प्रेम साँसों में न समा जाए तो कहना ।
प्रेम के लिए प्रेम की दो बातें ही जरूरी हैं
नफरत प्रेम में न बदल जाये तो कहना ।।
प्रेम ही तो प्रेम पाने का अचूक संबल है
दो पल प्रेम से गुजारकर तो देखो
दुनिया प्रेममय नजर न आये तो कहना
प्रेम की बातें तो करते हो पर प्रेम से नहीं
प्रेम की नदी में उतरकर तो देखो
प्रेम की कश्ती न मिल जाये तो कहना
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़