कवितापद्य साहित्य

प्रेम

प्रेम से तुम भी कभी प्रेम करके तो देखो ,
प्रेम नस नस में न समा जाए तो कहना ।
प्रेम की बातें जरा प्रेम से करके तो देखो ,
प्रेम दिल में न भर जाए तो कहना ।
प्रेम के लिए जरा प्रेम से मिलकर तो देखो
प्रेम साँसों में न समा जाए तो कहना ।
प्रेम के लिए प्रेम की दो बातें ही जरूरी हैं
नफरत प्रेम में न बदल जाये तो कहना ।।
प्रेम ही तो प्रेम पाने का अचूक संबल है
दो पल प्रेम से गुजारकर तो देखो
दुनिया प्रेममय नजर न आये तो कहना
प्रेम की बातें तो करते हो पर प्रेम से नहीं
प्रेम की नदी में उतरकर तो देखो
प्रेम की कश्ती न मिल जाये तो कहना

वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

 

*वर्षा वार्ष्णेय

पति का नाम –श्री गणेश कुमार वार्ष्णेय शिक्षा –ग्रेजुएशन {साहित्यिक अंग्रेजी ,सामान्य अंग्रेजी ,अर्थशास्त्र ,मनोविज्ञान } पता –संगम बिहार कॉलोनी ,गली न .3 नगला तिकोना रोड अलीगढ़{उत्तर प्रदेश} फ़ोन न .. 8868881051, 8439939877 अन्य – समाचार पत्र और किताबों में सामाजिक कुरीतियों और ज्वलंत विषयों पर काव्य सृजन और लेख , पूर्व में अध्यापन कार्य, वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन यही है जिंदगी, कविता संग्रह की लेखिका नारी गौरव सम्मान से सम्मानित पुष्पगंधा काव्य संकलन के लिए रचनाकार के लिए सम्मानित {भारत की प्रतिभाशाली हिंदी कवयित्रियाँ }साझा संकलन पुष्पगंधा काव्य संकलन साझा संकलन संदल सुगंध साझा संकलन Pride of women award -2017 Indian trailblezer women Award 2017