स्वास्थ्य

कोरोना से बचाव एवं रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास

कोरोना या कोविड-19 का अभी तक कोई सफल और विश्वसनीय उपचार नहीं निकला है। इसलिए ‘बचाव ही इलाज है’ यह वाक्य कोरोना पर पूरी तरह लागू होता है। इससे बचे रहने के लिए सामान्यतया तीन प्रमुख दिशानिर्देश दिये जाते हैं-

1. फेसमास्क लगाना- घर से बाहर निकलते समय फेसमास्क लगाना आवश्यक है, ताकि बाहरी वातावरण में व्याप्त कोरोना विषाणु साँस के माध्यम से हमारे शरीर या फेंफड़ों में न जायें।

2. सामाजिक या भौतिक दूरी रखना- घर से बाहर जाने पर आस-पास के प्रत्येक व्यक्ति से कम से कम दो गज या 6 फीट की भौतिक दूरी बनाये रखना आवश्यक है, ताकि उसके शरीर या साँस से निकलने वाले कोरोना विषाणु हमारे सम्पर्क में न आयें।

3. हाथों को बार-बार धोना- बाहर से आने पर या किसी बाहरी वस्तु को छूने पर हाथों को अच्छे साबुन या सेनिटाइजर से अवश्य धो लेना चाहिए। तभी घर की किसी वस्तु को हाथ से छूना चाहिए।
यदि कोई व्यक्ति इन दिशानिर्देशों का निष्ठापूर्वक पालन करता है, तो उसके कोरोना से संक्रमित होने की संभावना बहुत कम (लगभग शून्य) हो जाती है।

इतने पर भी कई बार देखा गया है कि सभी प्रकार की सावधानियाँ बरतने पर भी लोगों को कोरोना संक्रमण हो जाता है। ऐसी स्थिति में कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय यह है कि हम अपने शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता (या इम्यूनिटी) को इतना सुधार लें कि बाहरी विषाणु हमारे शरीर में आते ही निष्क्रिय हो जायें और कोई हानि न पहुँचा पायें, क्योंकि कोरोना संक्रमण हो जाने पर पीड़ित के जीवित बचने की संभावना उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता के सीधे समानुपाती होती है। जिनकी इम्यूनिटी कम होती है, उनके जीवन को खतरा अधिक होता है अर्थात् स्वस्थ होने की संभावना कम होती है।

सौभाग्य से हम सरल और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाकर और अपना खान-पान नियंत्रित करके अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता को पर्याप्त स्तर तक सुधार सकते हैं। स्वास्थ्य और इम्यूनिटी सुधारने के कुछ उपाय निम्न प्रकार हैं-

1. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले मुख्य विटामिन बी6, बी12, ए, सी, डी और ई हैं। इनको अपने दैनिक भोजन से प्राप्त करना सबसे अच्छा रहता है। इम्यून सिस्टम के लिए बी6 सबसे महत्वपूर्ण है। यह हमें केला, आलू, चना, शकरकंद, गाजर, पालक आदि से प्राप्त होता है। अपने भोजन में विटामिन सी शामिल करें। प्रतिदिन 90 मिग्रा की मात्रा आवश्यक है। फलों में पाया जाता है- सन्तरा, मौसमी, आँवला, अमरूद, शिमला मिर्च, नीबू, किवी, अनन्नास पालक आदि। श्वेत रक्त कणों की संख्या बढ़ाता है, जिससे शरीर बाहरी विषाणुओं से सुरक्षित रहता है। संक्रमणों से लड़ने में विटामिन ई भी बहुत आवश्यक है। यह हमें सूखे मेवों, पालक, सूरजमुखी के तेल आदि से मिलता है।

2. पर्याप्त जल पियें। हमारे शरीर में 60 से 70 प्रतिशत जल होता है। हमें कम से कम ढाई लीटर जल प्रतिदिन अवश्य पीना चाहिए। यदि हमारे मूत्र का रंग गहरा पीला है, तो उसका रंग हल्का पीला आने तक जल की मात्रा बढ़ानी चाहिए। जल हमारे शरीर में कई विटामिनों, खनिजों और पोषक तत्वों को आत्मसात करने में भी सहायक होता है।

3. नियमित योग और ध्यान करें। योग से शरीर की सामान्य रोगप्रतिरोधक क्षमता बहुत बढ़ जाती है। इससे शरीर से विकारों को निकलने में बहुत सहायता मिलती है। प्राणायाम और श्वाँस के अभ्यासों से शरीर के विभिन्न अवयवों विशेष रूप से फेंफड़ों के कार्य सुचारु रूप से चलते रहते हैं।

4. उचित व्यायाम करें। शोधों से पता चला है कि प्रतिदिन 30 मिनट तक साधारण व्यायाम करना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए अनिवार्य है। टहलना, साइकिल चलाना, तैरना, दौड़ने वाले खेल-कूद आदि इनमें शामिल हैं। इनसे शरीर में रक्त का प्रवाह और हृदय की क्रियाशीलता उचित स्तर पर बनी रहती है, जिनसे रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।

5. पर्याप्त विश्राम करें और पूरी नींद लें। 8 घंटे की गहरी निद्रा अनिवार्य है। ध्यान और शिथिलीकरण की सहायता से शरीर को अधिक से अधिक विश्राम देना चाहिए। योग से भी इसमें बहुत सहायता मिलती है।

6. मानसिक तनाव घटायें। लगातार तनाव में रहने पर विषाणुओं से लड़ने में आप कमजोर हो जाते हैं। इससे इम्यूनिटी घट जाती है। तनाव घटाने के लिए योग और व्यायाम नियमित करें। गहरी साँसें लें और शिथिलीकरण करें। सकारात्मक विचारों वाली पुस्तकें पढ़ें। कोई रचनात्मक शौक पाल लें, जैसे चित्र बनाना, खिलौने बनाना आदि।

7. पूर्ण शाकाहार स्वस्थ एवं रोगमुक्त रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सब्जियों और फलों को उनके प्राकृतिक रूप में ही लेना चाहिए। साथ ही उच्च रेशे वाले अन्न, दाल, फलियाँ और मूँगफलियाँ भी आवश्यक हैं। ये पचने में सरल और पोषक पदार्थों विटामिनों खनिजों आदि से भरपूर होते हैं। आपके भोजन की प्लेट में दो-तिहाई भाग इन चीजों का होना चाहिए। शाकाहार से हमें अपने शरीर के लिए आवश्यक सभी पदार्थ मिल जाते हैं।

8. पौष्टिक भोजन करना अपने रोगप्रतिरोधक तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए अनिवार्य है। मैदा से बने पदार्थों, पेस्ट्री, बिस्कुट, पिज्जा, वनस्पति तेलों, बटर, आइसक्रीम, और लाल माँस से बचना चाहिए। इसके बजाय अच्छे पौष्टिक पदार्थों जैसे सूखे मेवा, फल, दूध आदि का सेवन करना चाहिए। जैतून, मूँगफली, तिल आदि के तेल इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक होते हैं, जबकि रिफाइंड तेल रोगप्रतिरोधक क्षमता को कुंद करते हैं। इसलिए रिफाइंड तेलों से बचना चाहिए।

9. धूप का सेवन करने से आप अनेक स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याओं से बचे रहते हैं। इससे हमें विटामिन डी भी प्रचुर मात्रा में मिलता है, जो कैल्शियम को पचाने के लिए अनिवार्य है। धूप स्नान खाली पेट लेना चाहिए और उसके बाद शीतल जल से स्नान करके आधा घंटे बाद ही कुछ खाना चाहिए। खुली त्वचा पर नारियल, तिल, जैतून या सरसों का तेल लगाना चाहिए। यदि धूप तेज हो तो सिर को ठंडे गीले कपड़े से ढक लेना चाहिए।

10. इनके अतिरिक्त कई वस्तुएँ ऐसी हैं जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं, जैसे लहसुन, अदरक, शहद, हल्दी, अंकुरित अन्न आदि। हमें ये वस्तुएँ भी अपने भोजन का अनिवार्य अंग बनानी चाहिए।

इन उपायों को अपनाने से कोई भी व्यक्ति अपने शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास कर सकता है और न केवल नये रोगों से बचा रह सकता है, बल्कि पुराने रोग यदि कोई हों से भी छुटकारा पा सकता है।

— डॉ विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]