दिल की बस्ती
दिल की यह बस्ती
कभी लोगों से आबाद थी
आज तन्हा है
बड़ी रौनक थी
इस बस्ती में
न जाने किस की नजर लगी इसको
एक एक कर परिंदे उड़ने लगे
मकां खाली कर लोग जाने लगे
मेरा भी दिल
इस बस्ती से भर गया
लगता है खाली कर मकां
कहीं और ले लूं पनाह