बालगीत “जोकर खूब हँसाये”
जो काम नही कर पायें दूसरे,
वो जोकर कर जाये।
सरकस मे जोकर ही,
दर्शक-गण को खूब रिझाये।
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नाक नुकीली, चड्ढी ढीली,
लम्बी टोपी पहने,
उछल-कूद कर जोकर राजा,
सबको खूब हँसाये।
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चाँटा मारा साथी को,
खुद रोता जोर-शोर से,
हाव-भाव से, शैतानी से,
सबका मन भरमाये।
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लम्बा जोकर तो सीधा है,
बौना बड़ा चतुर है,
उल्टी-सीधी हरकत करके,
बच्चों को ललचाये।
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(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)