कविता

आंसू

आंसू जो टपका
मेरी आंख से
किसी ने समझा
कारण है किसी खुशी का
कोई समझा
कतरा है यह
गम का
सच तो यह था
कोई न समझा
आखिर क्यों यह छलका
बस मैं ही इसको समझा
क्यों यह छलका
कोई खुशी थी
यां कि कोई रंज

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020