काविता
अगर महसूस नहीं होती
तुमको पीड़ा किसकी।
देखकर आंसू किसी के
नम नहीं होती हे तुम्हारी आंखें
तो तुम इक जिन्दा
लाश हो।
जिनका जीना
और न जीना
एक बराबर होता है
केवल सांस बस लेना ही
जिंदगी नहीं होती
संवेदना का
मरना ही
असल मौत
होती है हमारी
— अभिषेक जैन