बात राष्ट्र की
क्या यह सच है,
‘कांग्रेस’ एक धर्मविशेष के प्रति तुष्टिकरण रवैये अपनाए हुए हैं ?
××××
क्या यह सच है,
भाजपा एक धर्मविशेष की पार्टी है ?
××××
क्या यह सच है,
राजद, सपा या बसपा एक धर्मविशेष और जातिविशेष प्रतिनिधियों की संख्या ही ज्यादातर हैं ?
××××
‘वोट’ किसी को दीजिए…
किन्तु बात जब ‘राष्ट्र’ की आए,
तब ‘साहसिक नेता’ की जरूरत है !
तो निश्चित को छोड़ अनिश्चित की ओर क्यों?
××××