भाषा का डॉक्टर
भारत में धर्म की
कोई कमी नहीं !
यहाँ लोगो को
रोटी चाहिए !
विवेकानंद कहिन ।
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मज़हब वही सिखाता,
आपस में वैर रखना;
जिस ओर सर किसी का,
उस ओर पैर रखना !
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शिक्षक-संघ सरकार से
रजिस्टर्ड हैं,
जिनके आह्वान पर
सदस्य-शिक्षक हड़ताल पर….
प्राथमिकी अगर हो तो
संघ पर हो,
शिक्षकों पर प्राथमिकी
अनुचित है !
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हम उम्मीदवार या व्यक्ति आधारित
वोटिंग करें,
देश में सभी राजनीतिक पार्टियाँ
अपने-आप
समाप्त अथवा विलुप्त हो जाएँगी !
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मैं हूँ “भाषा का डॉक्टर” !
हर विचारों, सिद्धांतों का
‘पोस्टमार्टम’ करता हूँ
और
नए-नए विचारों पर
कार्य करता हूँ !