हरी झंडी, जीती झंडी !
अंतिम राउंड के मतदान के बाद गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जैसी ‘एग्जिट पोल’ की रुझान आई थी, कमोबेश मतगणना – परिणाम वही रहे । हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार की करारी हार हुई, तो श्री नरेन्द्र भाई मोदी के प्रधानमंत्री पद पर चयन होने पर और एतदर्थ गुजरात के मुख्यमंत्री पद से दिए इस्तीफे के बाद गुजरात में हुई पहली विधानसभा चुनाव के परिणाम भी प्रत्याशित ही रहे । मतगणना में सुबह के रुझान बीजेपी-कांग्रेस में काफी टक्कर लिए थे कि दोनों पार्टी के मतदाता – जनार्दन अपनी दाँतों तले ‘नाखून’ कुतर रहे थे ! कभी लगा युवराज राहुल गाँधी की अध्यक्षीय – ताजपोशी गुजरात में फलदायी न हो जाय, किन्तु दिन चढ़ते ही नरेंद्र भाई के विकासात्मक नेतृत्व के असली सूत्र विकास की पिटारी से निकले कि कांग्रेस और हार्दिक पटेलनुमाई लोग तीनों खाने चित्त हो गए । चारों खाने इसलिए नहीं, क्योंकि गुजरात में कांग्रेस 2012 की तुलना में कुछ सीटें ज्यादा निकाले हैं, वहीं बीजेपी को कुछ सीटों का नुकसान हुआ है, जो कि लंबी पारी के प्रत्याशित है, ऐसा संभव है । बावजूद गुजरातवासियों ने अपने नरेंद्र भाई पर ‘अय्यर के असंसदीय बोल’ का बदला ले लिये हैं और पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पुनः बीजेपी को सौंप दिए हैं । कुछ नुकसान को सकारात्मक तरह से देखना चाहिए कि अपनी खामियों पर दृष्टिपात कर बीजेपी शासन और भी मजबूती से जनता की सेवा करेंगे । हिमाचल में कांग्रेस तो बीजेपी को प्राप्त सीटों से लगभग आधी रह गई है, यहाँ बीजेपी ने लगभग दो तिहाई बहुमत हासिल की है । दोनों जगह कमल खिलखिलाए हैं, तो क्या यह केंद्र में ‘कमल’ के लिए 2019-2024 हेतु फिर से ‘हरी झंडी’ समझा जा सकता है ?