गीतिका/ग़ज़ल

गजल

बच्चे अब स्कूल को जाते हैं मेरे

सन्नाटा सा दिन भर घर में रहता है|

घर का काम पढाना सम्भालना मुझे ,

पति तो ड्यूटी के बाद बिस्तर में रहता है |

अधूरेपन की चिन्ता उसे क्यो हो भला

रातदिन पहरा जिनका सफ़र में रहता है|

शौहर का मिज़ाज आशिकाना है मेरे ,

सारा ध्यान पढते शायरी खबर में रहता है |

बच के पढता है छुपे से सबकी आँखों से

वो क्या जाने मेरी नज़र में रहता है|

घर में पैसे की किल्लत है जानकर भी,

उसका आलसीपन नौकरी के असर में रहता है |

बस मेरे दर्द पर मत जाना कभी तुम भी,

हमारे सोच का असर बस मंजर में रहता है |

दिन-रात के तकरार में हमारा वार्तालाप होता,

हर बात में तेरा मेरा नाम खबर में रहता है|

— रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]