कुण्डली/छंद

छंद- हरिगीतिका

छाया  हुआ अपनों में मिला ,भक्ति विभोर उत्सव छठी

भुला दिखा हर मनवा खोज, ढूढे दिखा  संचालिका

सूरज दिखे चाहत सी  बढ़ी ,जिनके  बिना हम नित ढले ।

उनकी रश्मि पाने के  लिए  , सभी दिनकर के आराधिका।।

अपनी लग्न में  सारे  मग्न , मनचाही  किनारें भरे  ।
मन ध्यान  की पिपासा दिनकर, तलाश भरी  मन साधिका ।।

सुता युवती सजी आई तके, मेहँदी लगी  हाथों भली

अपनों निकट में आते कहे, माँ कब से   बनी याचिका.

बरसता थमी पर , उत्सव सा,दिखा सा  सूरज छठी का ।
झूला मनवा हंसी ले थम ,पाया सब  बने   सेविका ।।

— रेखा मोहन    

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]