संविधान दिवस और डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर
भारत के पहले अनुसूचित जाति के युवक, जिन्होंने मैट्रिक से लेकर Ph D, D Litt तक उपाधि प्राप्त किये । अर्थशास्त्र में Ph D करनेवाले पहले एशियाई डॉ0 भीमराव सकपाल अम्बेडकर ने शनै: – शनै: अपनी प्रतिभा को पहले दुनिया में, फिर देश में स्थापित किये । भारत में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना में उनकी अवधारणा ही माने जाते हैं । कहा जाता है, वे नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामांकित हुए थे ! अर्थशास्त्र में उनकी पकड़ काफी मजबूत थी, अपितु ‘विधि’ की उन्हें मानद उपाधि मिली थी ।
गाँधी जी से मतभेद के बावजूद दोनों एक – दूसरे के प्रति मनभेद नहीं रखते थे ।
उनकी कई मशहूर किताबों के कारण तथा जबतक अनुसूचित वर्ग को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उन्हें शिक्षित नहीं किया जाएगा व आरक्षण नहीं दिया जाएगा, देश आगे बढ़ नहीं सकता– संबंधी सिद्धांतों के कारण ‘संविधान सभा’ में अम्बेडकर साहब को शामिल किया गया और कालांतर में श्री बी एन राव के सचिवत्व पर प्राथमिकता देते हुए संविधान प्रारूप समिति का अध्यक्ष उन्हें डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद ने नियुक्त किया ।
जीवन के अंतिम दिनों में बौद्ध धर्म अपना लिए थे । वर्ष 1956 के 6 दिसम्बर को लंबी बीमारी के बाद बाबा साहब का निधन हो गया । केंद्र की कांग्रेसी सरकार ने उनकी प्रतिभा की कद्र 1992 में ही की, जब डॉ0 साहब को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ प्रदान किया गया ।
बाबा साहब के विचारों से ओतप्रोत हो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति लिए कई सुलेख लिखने पर मुझे ‘भारतीय दलित साहित्य अकादमी, नई दिल्ली’ ने ‘महात्मा ज्योतिबा फुले नेशनल फ़ेलोशिप अवार्ड- 2008’ (J. F. No. 180/1064) के लिए चुना था और सम्मानित किया था ।