कांशीराम
रूपनगर, पंजाब में जन्म । जब जगजीवन राम की राजनीति सत्तालोलुप लिए हो गयी, तब डॉ. भीमराव अंबेडकर के बाद भारत में शोषितों-वंचितों के सबसे बड़े चेहरे के रूप में कांशीराम उभरे।
गूगल सर्च के अनुसार 1958 में ग्रेजुएशन करने के बाद कांशीराम ने पुणे स्थित डीआरडीओ में बतौर सहायक वैज्ञानिक काम किया था । इसी दौरान अंबेडकर जयंती पर सार्वजनिक छुट्टी को लेकर किए गए संघर्ष से उनका मन ऐसा पलटा कि कुछ साल बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर ख़ुद को सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष में झोंक दिया । अपने सहकर्मी डीके खरपडे के साथ मिलकर उन्होंने नौकरियों में लगे अनुसूचित जातियों -जनजातियों, पिछड़े वर्ग और धर्मांतरित अल्पसंख्यकों के साथ बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एंप्लायीज फेडरेशन (BAMCEF) की स्थापना की।
यह संगठन आज भी सक्रिय है और देशभर में दलित जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित करता है । वर्ष 1981 में कांशीराम ने बैकवर्ड शोषित समाज संघर्ष समिति की शुरुआत की जिसे BS4 या DS4 के नाम से जाना जाता है और 1984 में बहुजन समाज पार्टी (BSP) का गठन किया. आगे चलकर उन्होंने मायावती को उत्तर प्रदेश की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बनाया. ऐसा देश के किसी भी सूबे में पहली बार हुआ था।
मूल वैज्ञानिक से सोशल वैज्ञानिक बने कांशीराम की विचारधारा को उनकी शिष्या मायावती द्वारा हाईजैक किये जाने की बात भी गाहे-बगाहे उठती रहती है । मान्यवर कांशीराम अब हमारे बीच नहीं है, किंतु उनके संदेश सदैव रहेंगे….