मुक्तक/दोहा

मुक्तक

कोहरा फैलती गर्द हट जाएगी
हर घड़ी बढ़ रही धुंध छँट जाएगी
दीप जिस पल हृदय में जला आस का
तीरगी रास्तों की सिमट जाएगी

धर्म ईमान श्रृद्धा वफ़ा की तरह
प्राणमय देह में चेतना की तरह
है तमन्ना रहें एक दूजे में हम
देह में देह की आत्मा की तरह

जब जहाँ जिस तरह आजमाना मुझे
भूल पाओ अगर भूलजाना मुझे
मत सजाना भले होठ पर गीत सा
बस नज़र से कभी मत गिराना मुझे

सत्य सदभावना सौम्यता सादगी
प्रेम करुणा दया आस्था बंदगी
पा गये जिस बशर के हृदय में जगह
शांति सुख से जिएगा सदा ज़िन्दगी

— सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.