वसंती हवा हूँ
पत्रकार खुशवंत सिंह की पुण्यतिथि, उपन्यास ‘राग दरबारी’ की 50वीं वर्षगाँठ और कवि केदारनाथ सिंह की पुण्यतिथि ! केन (के=केदार, न=नाथ) नदी तट (मध्यप्रदेश) के कवि केदारनाथ अग्रवाल ने ‘वसंती हवा’ कविता लिखा था, वहीं चकिया (उत्तरप्रदेश) के कवि केदारनाथ सिंह को भारतीय ज्ञानपीठ सम्मान मिला था, तथापि मैं केदारनाथ अग्रवाल को चौथी कक्षा की हिंदी पाठ्यपुस्तक में प्रकाशित उनकी कविता ‘वसंती हवा’ के मार्फ़त तब से ही जान रहा हूँ।
बाद के दिनों में केन जी पर ‘आजकल’ पत्रिका में ‘एक पत्र मेरी भी’ प्रकाशित हुई थी, किंतु केदारनाथ सिंह को बड़े कक्षाओं में जाना और उनसे प्रत्यक्षतः मिला भी हूँ। ‘हवा हूँ, हवा मैं, वसंती हवा हूँ ‘ के कवि का निधन पहले ही हो चुका है, वृद्धावस्था और बीमारी ने कवि केदारनाथ सिंह को लील लिया । प्रियजन का सदा के लिए चले जाना अत्यंत मर्मभेदी और दुखदायी होता है।