श्रेष्ठतम पार्श्वगायक
स्वर और लय के भारतीय विधाता ! वर्ष 1924 के 24 दिसम्बर को मोहम्मद रफ़ी का जन्म हुआ, किन्तु 56 वर्ष की आयु भी पूर्ण नहीं कर सके और 31 जुलाई 1980 को इस पार्थिव दुनिया से रूहानी दुनिया की ओर कूच कर गए । मैं पूरी दुनिया की गीतों को सुना तो नहीं हूँ, किन्तु इतना तो तय है, वे हिन्दी सिनेमा के श्रेष्ठतम पार्श्व गायकों में एक थे।
उनकी आवाज ही थी कि तब के सभी समकालीन गायकों ने उन्हें उस्ताद मानने लग गए, कई तो उन्हें ‘शहंशाह – ए – तरन्नुम’ भी कहने लगे ! मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ ने ही कालांतर में सोनू निगम, मुहम्मद अज़ीज़, उदित नारायण जैसे गायकों की आवाज़ बना, बावजूद ये नाम भी अपने – अपने फन से पहचाने गए।
1940-1980 के बीच रफ़ी साहब ने 26,000 से अधिक गाने गाए, इनमें हिन्दी गानों के साथ कई अन्य भाषाई गाने भी हैं । गानों के अतिरिक्त ग़ज़ल, भजन, देशभक्ति गीत, क़व्वाली इत्यादि विधा भी शामिल हैं ।
वॉलीवुड अभिनेता गुरुदत्त, दिलीप कुमार, देव आनंद, भारत भूषण, जॉनी वॉकर, जॉय मुखर्जी, शम्मी कपूर, राजेन्द्र कुमार, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, जीतेन्द्र, ऋषि कपूर इत्यादि ने रफ़ी साहब के गीतों में अभिनय किये हैं । किशोर कुमार तो खुद में गायक थे, किन्तु फ़िल्म अभिनेता के रूप में वे उनके गीतों पर भी अभिनय किया ।
गूगल ने उन्हें सम्मान देते हुए ‘डूडल’ भी बनाया है। भारत सरकार ने रफी साहब को पद्म सम्मान से सम्मानित किया है। अमर उजाला के अनुसार,
मोहम्मद रफी के निधन के दिन मुंबई में तेज बारिश हो रही थी। कहा जाता है कि निधन की अंतिम यात्रा की रिकॉर्डिंग को हिंदी फिल्म में इस्तेमाल भी किया गया था। मोहम्मद रफी की अंतिम यात्रा इतने बड़ी स्तर पर की गई थी कि लोग आज भी याद करते हैं। उस वक्त करीब 10 हजार लोग यात्रा में शरीक हुए थे।