कविता – सपनों की चाहत
चलो मेरे साथ चलो
सपनों के पीछे भागते हैं
सपनों के पीछे भागना
कोई लालची होना नहीं होता है
सपनों की पीछे
भागने वाला आदमी
दुनियावी भी नहीं होता
सपनों के पीछे भागना
आदमी को जीने के लिए प्रेरित करना है
सपनों की चाहत
आदमी को कभी बूढ़ा नहीं होने देती
सपनों के पीछे भागने वाला
कभी हताश और निराश होकर
निठल्ला नहीं बैठ जाता
सपनों के पीछे भागने वाले को
बेशक मुट्ठी भर जमीन मिले
या अंजुरी भर आसमान या
हिस्से में आए खारा पानी अथवा मीठा पानी
यह सब उसकी जिजीविषा को
जिंदा रखने के लिए जरूरी होते हैं
सपनों के पीछे भागने वाले
सुना है कभी बूढ़े नहीं होते
बूढ़े वे तब होते हैं
जब वे सपनों के पीछे भागना
छोड़ देते हैं
इसलिए दोस्त
सपनों के पीछे भागते रहिए
आपके हिस्से की जवानी
आपकी दहलीज पर आपका स्वागत करती रहेगी !
— अशोक दर्द