धर्म पर संस्कृति ‘वजनी’ है ?
16 दिसम्बर 1971 के दिन पता चल गया कि धर्म पर भी संस्कृति भारी रही । जिस इस्लाम की दुहाई देकर पाकिस्तान बना था, वो फ़ॉर्मूला 25 साल भी चल नहीं पाया । एक आख्यानानुसार पूर्णिया, बिहार से संबंध रखनेवाला शेख मुजीबुर्रहमान की पार्टी ‘अवामी लीग’ ने जब बहुमत प्राप्त किया, तब उन्हें पश्चिम पाकिस्तान के आकाओं ने प्रधानमंत्री बनने नहीं दिया और धोखे से नज़रबंद कर लिया, तब मुज़ीब ने बांग्ला संस्कृति के तहत ‘जय बांग्ला’ अभियान के तहत भारत से गुहार लगाए ।
तब भारत ने न केवल मदद की, अपितु बंगाली महिला और युवतियों पर पाकिस्तानी फौजियों के द्वारा कुत्सित कृत्य पर तत्कालीन भारत सरकार ने भारतीय सैनिकों को एतद रक्षार्थ आदेशित किया, परिणाम 16 दिसम्बर तक लेकर गया और भारत के सदप्रयास से पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा ‘पाकिस्तान’ से आज़ाद हो नया देश ‘बांग्ला देश’ के रूप में अस्तित्व में आया।
तब भारतीय सैनिक पश्चिमी पाकिस्तान (अब पाकिस्तान) के लाहौर तक घुस गए थे, चाहते तो पश्चिमी हिस्सा फिर भारत का हो जाता ! लगभग 1 लाख पाकिस्तानी फौजों को भारतीय सैनिकों ने हथियार डालने पर मजबूर कर दिया था और सभी को भारतीय सैनिकों ने बंदी बना लिए थे। आज भी पाकिस्तान इस घटना को भूला नहीं है, लेकिन यह घटना दिखा गया कि धर्म से भी भारी संस्कृति होती है, जो कि बांग्ला संस्कृति ने दिखा दी । इसतरह से 16 दिसम्बर को तीनों देश अपने-अपने ढंग से याद करते हैं।