कविता

प्रभु से अरदास

प्रभु मेरी तुमसें है अरदास
साल तो यह जैसे तैसे बीत रहा
मास दिसंबर
साल अंत का भी अा गया
आगे रहे सकुशल
सद राह दिखाना हमको
करना न पड़े हमें कोई पश्चाताप
अधम से बचे रहें
सद मार्ग पर चलते रहें
इस साल ने काफी थका दिया
बहुत कुछ सिखा दिया
भ्रम सारे तोड़ दिए
कुछ को हमसे छीन लिया
उनकी यादें छोड़ गया
प्रभु जो हुआ सो हुआ
आगे सब सकुशल रहे
आने वाले नए साल में
सब कुछ कुशल रहे

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020