संसद भी मंदिर है
लोकतंत्र के मंदिर पर हमला नापाक और आपराधिक कृत्य। भारतीय संसद पर 13 दिसम्बर 2001 को सत्र की कार्यवाही के समय ही आतंकी व रक्तपिपासु घुसपैठियों ने दनादन गोलियां चलाये थे, जिनमें कई संसद-कर्मी हताहत हुए थे । ध्यातव्य है, तब लगभग 100 माननीय सांसद वहाँ उपस्थित थे, किन्तु सभी बाल-बाल बच गए । यह लोकतंत्र के मंदिर पर हमला था । हमारी सुरक्षा व्यवस्था काफी मज़बूत होनी चाहिए, सिर्फ राजनेताओं को ही Z सुरक्षा क्यों ? संसद के साधारण कर्मी ने एतदर्थ लड़कर और शहीद होकर संसद ‘से मंदिर और सांसदों की जान बचाये ! इन शहीदों के प्रति हम नतमस्तक हैं, उन्हें सैल्यूट है हमारा ! उनके परिवार के प्रति हमारी अनंत संवेदनाएँ !