इससे अच्छा है ‘नंगा’ कर ही परीक्षा ली जाय !
इससे अच्छा है, ‘नंगा’ कर ही परीक्षा ली जाय ! ‘बिहार कर्मचारी चयन आयोग’ ने अपने ज्ञापांक- 3486/आ. /दिनांक- 05.12.2018 के तहत अख़बारों में एक विज्ञप्ति प्रकाशित कराया है, जो कि उनके द्वारा ली जा रही परीक्षाओं के बनिस्पत परीक्षा-केंद्रों में/पर परीक्षार्थियों द्वारा अग्रांकित वस्तुएँ नहीं ले जाना है, यथा- जूता-मोजा, ठंडा पेय, गर्म पेय, गुटका, खैनी, पान, बीड़ी, सिगरेट, आभूषण, ताबीज़, पेन, पेंसिल, कैलकुलेटर, स्लाइड रूल, लॉग टेबल, ग्राफ़ पेपर, चार्ट्स, मोबाइल फोन, ब्लू-टूथ, पेजर, वेयरेबल डिवाइस, स्मार्ट फोन, घड़ी, बैग इत्यादि ।
पहनने को व लाने- ले जाने को अब कहाँ कुछ शेष रह जाता है, उससे अच्छा पुरुष-महिला का सेंटर अलग कर दे, जहाँ पुरुष अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा लेनेवाले सभी पुरुष ही होंगे, तो महिलाओं के महिला । फिर सभी अभ्यर्थियों को नंगाकर ही परीक्षा ले ली जाय ! क्यों ?
ठंडा के मौसम में ‘जूता’ नहीं पहने, मौजे नहीं पहने, तो क्या पहने?
आभूषण में नाक और कान के आभूषण तो सामान्य है, अगर महिलाएँ को एतदर्थ पीड़ा पहुँचेगी, क्यों?
ताबीज़ नहीं पहनने से धार्मिक आस्था और विश्वास को चोट पहुँचेगी !
**एतदर्थ परीक्षा आयोग को अब परीक्षा का विकल्प तलाशने चाहिए और कम्पटीशन परीक्षा के लिए मेधावी लोगों से सहायता लेकर complex प्रश्न-सेट तैयार करने चाहिए ।
विस्मय की बात है, परीक्षा में तीन किताबें ले जाने की अनुमति है, किन्तु भर-जाड़ा में जूते-मोजे नहीं पहनने हैं!