खोटी मुद्रा का खुरपी गान !
‘नयी मुद्रा’ पुरानी और खोटी मुद्रा को प्रचलन से कर देती है बाहर !
अर्थशास्त्र के अकाट्य नियमों में– ‘नयी मुद्रा’ पुरानी, अप्रचलनीय, खोटा, नकली मुद्रा को प्रचलन से बाहर कर देती है– कोई नया नियम नहीं है । भारत सरकार द्वारा देश की आर्थिक ढाँचा को सुदृढ़ता प्रदान करने में किए गए उपक्रम कि “पुराने ₹500 और ₹1000 के नोट इतिहास में दर्ज़ हो गए (विशेष परिस्थिति को छोड़कर)” के प्रति हमें सादर आभार व्यक्त करने चाहिए।
‘देश के नाम सन्देश’ में माननीय प्रधानमन्त्री ने सुस्पष्ट कहा है कि 125 करोड़ भारतीयों के रुपये में किसी प्रकार के संकट के बादल नहीं उमड़े हैं । पुराने नोटों के लिए कुछ अत्यंत थोड़े दिन आपातिक व्यवस्था लिए भी है । फिर 30 दिसंबर तक प्रथम 50 दिन इन नोटों को बैंक और डाकघरों के खातों में जमा करने के लिए है । विशेष शर्तों के साथ व नियमबद्ध कुछ चिह्नित पहचान के साथ 31 मार्च 2017 तक भी अनिवार्यरूपेन बैंक/डाकघरों के खाता में जमा हो जाने की सूचना है।
हमें किसी आग्रह पर शीघ्र प्रतिक्रिया न देकर किसी सन्देश को बूझना भी चाहिए तथा सरकार के देशनिष्ठ संदेशों पर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने चाहिए । पुराने 500 और 1000 रु. के नोट क्षणान्तराल प्रचलन से बाहर हो जाएंगे , फिर 2000 के नए नोट का प्रथम प्रयोग में और 500 के नए नोट प्रचलन में आ जाएंगे।
करप्सन, ब्लैक मनी , नकली नोट आदि के कारण भारतीय अर्थव्यस्था में रोज आये दिन कोई न कोई ह्रास की घटनाएं होती है, इसलिए सरकार का यह कदम न केवल सराहनीय है, अपितु देश की विकास दर बढाने में अव्वल टोटका है । एक निर्धन व्यक्ति की संचय राशि नकदी मुद्रा में ज्यादा नहीं रहती है । हाँ, सभी सिक्के , अपवाद को छोड़ सभी रुपये प्रचलन में है और इसके लिए किसी को परेशान होने की आवश्यकता नहीं हैं ! माननीय का सन्देश फिर से सुना जा सकता है!