विद्यालय में दस्तावेजों का संग्रहण !
विद्यालय में कितने वर्षों तक दस्तावेज़- सुरक्षित रखे जाएंगे–नहीं है कोई नियमन !
वर्ष 2011 में मैंने आर.टी.आई. अधिनियमान्तर्गत शिक्षा विभाग, बिहार सरकार से कुछ सूचनाओं की जानकारी को लेकर सूचनावेदन (प्रपत्र-क) भेजा था , जवाब नहीं आने पर प्रक्रियाबद्ध तरीके से माननीय राज्य सूचना आयोग, बिहार में द्वितीय अपील किया, जो वाद सं.71667/11-12 के रूप में स्थापित हुआ, किन्तु तब माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के उप निदेशक ने पत्रांक-503/दि.29.04.2014 के तहत जो जानकारी दी, लिखा था– ‘छाया प्रति संलग्न है’ । किन्तु कोई भी छाया प्रति संलग्न नहीं थे ।
फिर इसे सहित अन्य जानकारियाँ लिए पुनः वर्ष-2014 में शिक्षा विभाग को ‘प्रपत्र-क’ प्रेषित किया । घालमेल जवाब आने पर प्रक्रियाबद्ध हो माननीय रा. सू. आयोग में ‘द्वितीय अपील’ किया और वहाँ वाद सं.127807 स्थापित हुआ । तब शिक्षा विभाग, बिहार, पटना के लोक सूचना पदा. (मा.शि.) श्री प्रदीप कुमार ने [पत्रांक-11/सू.01-51/2014- 1718/ दि.11.11.2016 की प्राप्ति रजिष्ट्री डाक के माध्यम से 26.11.2016 को हुई ] , जिनके बिंदु-(ii) के सूचनोत्तर में लिखा है- “विद्यालय से सम्बंधित कोई भी दस्तावेज़ (शिक्षकोपस्थिति-पंजी, छात्रोपस्थिति- पंजी आदि ) कितने वर्षों तक सुरक्षित रखी जाय, नियमावली में इसका कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है ।
परंतु विद्यालय के प्रधानाध्यापक का यह दायित्व है कि महत्वपूर्ण दस्तावेजों को यथासंभव सुरक्षित एवम् संजोकर रखी जाय ।” खैर ! यहां दूसरी वाक्य भी प्रधानाध्यापक के पक्ष में है, क्योंकि शिक्षा विभाग, बिहार सरकार द्वारा ‘यथासंभव’ शब्द का प्रयोग किया गया है, उसमें भी महत्वपूर्ण दस्तावेजों के लिए ही मात्र ।