कविता

कविता

जाने वालो के कदमों के निशा बाकी है

नहीं अभी मिटा पाए

ये बेरहम पानी की लहर

क्योंकि

वो निशा हासिल पे नहीं

मेरे दिल पर बने हैं

ऐसी कोई लहर नहीं जो

मेरे दिल तक आए

मिटाएं होंगे हासिल

बने निशा कई उसने

अब आ के मेरे दिल पे

वो निशा तो मिटाएं

जो वक्त के गुजरने पर भी

और भी गहरे हुए

और कभी कई दिनों तक वो

नहीं मिटने वाले

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश