बोधकथा

अविवाहित नोबेल

नोबेल पुरस्कार के संस्थापक और ‘डायनामाइट’ जैसे विध्वंसक पदार्थ की खोजकर इसके लिए प्रायश्चितता पाने आजन्म विचलित रहे और अविवाहित रहे अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि [10 दिसम्बर] को विश्व और संयुक्त राष्ट्र इसे ‘मानवाधिकार दिवस’ के रूप में प्रतिवर्ष मनाते आ रहे हैं । ध्यातव्य है, नोबेल का जन्म भी गांधीजी के जन्ममाह में 1833 को हुआ था ।
‘नोबेल’ ने डायनामाइट के विक्रय कर इतने धन इकट्ठे किये कि आखिर फिर वे ‘डायनामाइट’ के विध्वंसक स्थिति के कारण, निरीह प्राणों व प्राणियों की क्षति के कारण, विनाश और तहस – नहस्ता के कारण ‘नोबेल’ ने इस संपत्ति अर्जन को वसीयत बनाकर विविध खोजियों के लिए, विविध विद्वानों के लिए, शांति के उपासकों के लिए स्वीडन में इस हेतु जजों के ‘जज्ड’ के बाद विश्व स्तरीय पुरस्कार देने की हिमाकत कर डाले । उनके 1896 में मृत्यु के पश्चात 1901 से आजतक हर क्षेत्र के सर्वाधिक काबिल व्यक्ति को ‘नोबेल पुरस्कार’ उसके ही सोच व नाम पर दी जाती है और उनकी संपत्ति के ब्याज से प्राप्त राशि से ही नोबेल पुरस्कार की राशि दी जाती है ।
‘नोबेल’ को डायनामाइट के आविष्कार पर कालांतर में पछतावा नहीं हुआ होता, तो आज नोबेल को कोई नहीं जानता ! नोबेल पुरस्कार के ऐसे ‘क्रीम’ को उनकी पुण्यतिथि पर ‘मानवाधिकार दिवस’ होने हेतु उनकी महान शख्सियतता को बारम्बार नमन !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.