कविता

कोरोना का कहर

लौट आया फिर से वो ही कोरोना का कहर..
चुनाव और दीपावली बाद फिर जागा मेरा शहर..
सख्ती और कार्यवाही से अब अभियान चलेगा
अस्थायी कारागारों में गुज़रेगी नासमझों की पहर…

मास्क और सैनिटाइजर फिर से निकाले जाएंगे
सड़को चौराहों पर तैनात जवान नज़र आएंगे
फिर से फटेंगे कोरोना बम और गूंजेगी खबरें
फिर से लोग दहशत में आकर घर बैठ जाएंगे

दो हज़ार बीस कोसते दो हज़ार इक्कीस आ जाएगा
शादियों और नए साल की धूम पर खतरा मंडराएगा
व्यपारी चिंतित, पालक परेशान,गरीब क्या खायेगा
डर और खौफ का फिर नया माहौल बन जायेगा

बिगड़ते हालातों पर प्रशासन बनाएगा नई नीति
लोगों के मन मे सवाल लॉकडाउन लगेगा या नही
काढ़े और तमाम एहतियात अब से बरतना पड़ेगा
आंकलन करेंगे घर बैठे क्या गलत हुआ क्या सही

जिन्होंने खोया अपनो को, उनके दर्द उभर आएंगे
खो न जाये कोई अपना लोग चिंता में सहम जाएंगे
दूसरा वर्ग बटेगा महज़ सर्दी जुकाम का नाम देकर
ऐसे लोगों के कारण ही दुसरे भी चपेटे में आएंगे

क्यों न चलो एक आसान सा काम किया जाए
क्यों टोके भला कोई हमको, हम खुद ही सम्भल जाए
जहां इतना कुछ भुगता थोड़ा समय और सही
नुकसान मुनाफे से बढ़कर जान को महत्व दिया जाए

आयी है विपदा तो मिल झुलकर सामना करेंगे
खुद सतर्क होकर अपनो संग विजयी बनेंगे
जो बीत रहा उसको खुशी से बीत जाने दो
पीढ़ी के इस अनुभव को बरसो तक सहज के रखें

सारिका “जागृति”
सर्वाधिकार सुरक्षित
ग्वालियर( मध्य प्रदेश)

 

डॉ. सारिका ठाकुर "जागृति"

ग्वालियर (म.प्र)