क्लीनसेव या फ्रेंचकट दाढ़ी
आपकी नज़र में शिक्षक राष्ट्र – निर्माता नहीं ! वो तो आप हैं ! आपको किसी शिक्षक ने नहीं पढ़ाया, बल्कि आप अभिमन्यु हैं, पेट से ही सीखकर आये हैं ? आप क्यों नहीं साईकिल में घूमते हैं ? आप क्यों क्लीनसेव करते हैं या चाप या फ्रेंचकट दाढ़ी रखते हैं । बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ अपना जीवन-स्तर सुधारना भी जहां शिक्षक का दायित्व है । उनके भी जैविक बच्चे हैं, जो डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक बनने के सपने पालते हैं ! कैसे बनेंगे वे ? कभी सोचा है आपने ? जब नियोजित शिक्षकों की उम्र 60 साल पार कर जाएंगे, तो कैसे जीयेंगे ? कभी सोचा है, आपने ! आपकी सेवा 5 वर्षों की है और उनकी 60 वर्षों तक…. । आप माननीयगण तो ‘पेंशन’ भी उठा लेते हैं और इस पेंशन का उल्लेख संविधान में नहीं है ! क्या यह गैर-संवैधानिक कृत्य नहीं है, जो कि आप उच्चतम न्यायालय जाकर यह रोना रोते हैं कि नियोजित शिक्षकों को इतने पैसे कहाँ से दूँगा ? … तो फिर आप सभी मिलकर करोड़ों रुपये वेतन, भत्ता व पेंशनादि के रूप में कैसे ले लेते हैं ? पहाड़ जैसे वेतन तो आप उठाते हैं, कहते हैं ये नियोजित शिक्षक ‘विरागी’ हो जाय ! अगर आप किसी न किसी शिक्षक से पढ़े हैं तो सभी माननीय मिल अपने-अपने वेतन-पेंशन आदि को ‘नियोजित शिक्षकों’ के लिए दान कर दीजिए ! एक परिवार में अपने बच्चों को अगर अभिभावक अपनी संपत्ति का समान वितरण नहीं करते हैं या कम आय प्राप्त करने वाले बच्चों के भाग्य को कोसते हैं, तो तय मानिए, ऐसे माँ-बाप का बुढ़ापा अत्यंत दुःखद होता है, तो ऐसा तभी हुआ है, जब वे अपने-अपने संतानों को एकसमान न देखा होगा, जैसा आप देख रहे हैं !