कविता

जीवन के भाव

रेगिस्तान के वीरानियों में भी
सूर्योदय का प्रकाश
जब बिखरता है
तब ऐसा लगता है कि
वहाँ भी जीवन का बीज
अंकुरित होने को है।
ये हमारे लिए संदेश जैसा है
कि लाश निराशा और
वीरानियों के बीच भी
जीवन का भाव
अंकुरित हो ही जाता है।
🖋 सुधीर श्रीवास्तव

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921