गीतिका/ग़ज़ल

नफरतों को अब छोड़िए

नफरतों को अब छोड़िए , क्योंकि हमें देश को बचाना है।
कोई गैर न तोड़ें ये एकता, हमें एक दूजे को समझाना है।

देख रहे हम, क्या हो रहा है, चाल दुश्मन की समझें अब;
समृद्ध होते देख वतन को, उसे तो आग में घी मिलाना है।

हो न जाए देर, कहीं फिर से, इतिहास को समझिए तो;
पहले भी किया दुश्मन ने ये, उसे हमें आपस में लड़ाना है।

छोटी-छोटी बातों को हम तुम, आपस में सुलझाया करें;
मौके की तलाश में जो रहता, उसको माटी में मिलाना है।

अब भी वक्त है संभलकर रहें ,तोड़ना जो चाहे हमें ऐसे;
हमको एकजुट हो अब, सबक उसे ही खूब सिखाना है।

— कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |