बोधकथा

इफ़्तार के साथ ‘पार्टी’ शब्द उचित है क्या ?

पवित्र रोजे तो शुभ है, पर हिंदुओं सहित अन्य धर्मावलंबियों द्वारा दिए गए ‘इफ़्तार’ पॉलिटिकल है क्या ? इस्लाम धर्म के आस्थाधारक/आस्थाधारिका हमारे मुस्लिम भाई-बहनों द्वारा गत सप्ताह से पाक रमजान महीना में रोजे (उपवास) रखे जा रहे हैं, सादर सुकामनाएँ । अपेक्षा है, रोजे के पुण्य पक्ष से देश की अखंडता और भी अक्षुण्ण रहेगी ।

ध्यातव्य है, मानवता भी देश की सुरक्षा के साथ आबद्ध है, परंतु इस्लाम के अतिरिक्त हिन्दू सहित अन्य धर्मावलम्बियों द्वारा ‘इफ़्तार’ को पार्टी के रूप में दिया जाना फ़ख़्त पॉलिटिकल है ! क्योंकि अगर इफ़्तार ही देनी है, तो पवित्र रोज़े भी तो कर लिया कीजिए, अन्य धर्मावलम्बियों के भाई-बहन जी !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.