इफ़्तार के साथ ‘पार्टी’ शब्द उचित है क्या ?
पवित्र रोजे तो शुभ है, पर हिंदुओं सहित अन्य धर्मावलंबियों द्वारा दिए गए ‘इफ़्तार’ पॉलिटिकल है क्या ? इस्लाम धर्म के आस्थाधारक/आस्थाधारिका हमारे मुस्लिम भाई-बहनों द्वारा गत सप्ताह से पाक रमजान महीना में रोजे (उपवास) रखे जा रहे हैं, सादर सुकामनाएँ । अपेक्षा है, रोजे के पुण्य पक्ष से देश की अखंडता और भी अक्षुण्ण रहेगी ।
ध्यातव्य है, मानवता भी देश की सुरक्षा के साथ आबद्ध है, परंतु इस्लाम के अतिरिक्त हिन्दू सहित अन्य धर्मावलम्बियों द्वारा ‘इफ़्तार’ को पार्टी के रूप में दिया जाना फ़ख़्त पॉलिटिकल है ! क्योंकि अगर इफ़्तार ही देनी है, तो पवित्र रोज़े भी तो कर लिया कीजिए, अन्य धर्मावलम्बियों के भाई-बहन जी !