मज़बूरी
दिखते हैं..
पढ़े-लिखे,
और बिन डिग्री वाले भी,
बेचते हुए,,,
अपना समय और काबलियत
कभी पात्र, तो कभी अपात्र को
देखते और दिखाते हैं,
खुद को,,,
अनगिनत… दिव्य स्वप्न
और बदले में उठा लाते हैं
बहुधा संग अपने
… बोझ और व्याधियां
पैसा कमाने की जद्दोजहद
या हालात सुधारने की चेष्टा
जन्म देती है…
उनिंदा रातों को
सच में! मजबूरी,,,
… गुलाम बना देती है।।
अंजु गुप्ता