मत लगने दो हौसलों में जंग
ये बनाते हैं हमें जीवंत।
समय-समय पर धार
इसमें लगाते रहो।
प्रयोग कर इसका इसे
जंगहीन बनाते रहो।
बनाकर हौंसला ऊंची उड़ान का
मत कद देखो आसमान का।
मत डर तू किसी मंजर से
तू तो सिकंदर है जहान का।
मत लगने दो हौसलों में जंग
ये बनाते हैं हमें जीवंत।
पकड़ आत्म विश्वास की डोर
धैर्य- संयम को लेकर साथ।
चढ़ो सफलता की सीढ़ी
हौसलों का थाम कर हाथ।
मत लगने दो हौसलों में जंग
ये बनाते हैं हमें जीवंत।
पराजित हो जब तुम बैठोगे
विवशता वश चीखोगे।
निराशा के बादल छा जाएंगे
तब हौंसले ही तुम्हें मनाएंगे।
मत लगने दो हौसलों में जंग
ये बनाते हैं हमें जीवंत।
मायूसी के दामन से लिपट कर
उम्मीद का साथ न छोड़ो कभी।
पहचान कर शक्ति मन की
काम को करने की ठानो सभी।
मत लगने दो हौसलों में जंग
ये बनाते हैं हमें जीवंत।
साकार कर सपनों को अपने
तुम लिखो नया इतिहास।
सफलता के परचम पर तुम
बदल दो जिंदगी का रिवाज़
मत लगने दो हौसलों में जंग
ये बनाते हैं हमें जीवंत।
— निशा नंदिनी भारतीय