ग़ज़ल
हाल दिल का सभी को सुनाते रहे।
गीत ग़ज़लें सदा गुनगुनाते रहे।
ग़म सभी हम हवा में उड़ाते रहे।
रोज़ हँसते रहें खिलखिलाते रहे।
जोश का जाम हर पल पिलाते रहे।
हौसला हम सभी का बढ़ाते रहे।
हम अँधेरों को हर पल हटाते रहे।
जोश का दीप हर सू जलाते रहे।
जोश औ वलवला कम न होने दिया,
मुश्किलों में भी हम मुस्कुराते रहे।
— हमीद कानपुरी