देश के एकमात्र ‘नेताजी’
देश के एकमात्र नेताजी यानी सुभाष’दा…. पूरी दुनिया में ‘नेताजी’ विभूषण से प्रथम पूजित और अबतक भी एकमात्र नेताजी श्री सुभाष चंद्र बसु उर्फ़ सुभाषचंद्र बोस वैसे तो ‘रायबहादुर’ परिवार से थे, किन्तु उन्हें अधीनता सालता था । आज ‘वार्ड मेंबर’ तक अपने को नेता समझते हैं, जो कि पूज्य ‘नेताजी’ के प्रति अनादर व्यवहार है।
विद्यालय -काल में गोरे अंग्रेज सहपाठी को जिसतरह से इन्होंने ईंट का जवाब पत्थर से देकर उन्हें इतने पिटाई कर डाले कि मार खानेवाले को दिन में ही तारे दिखाई देने लगे थे । वे काफी मेधावी थे और भारत के लिए ब्रिटिश साम्राज्य की सबसे बड़ी परीक्षा ICS में वे टॉप-4 हुए, किन्तु अंग्रेजों की अधीनतावाली कलक्टरी नहीं की।
वे पहले व्यक्ति थे, जिसने गांधीजी को ‘राष्ट्रपिता’ नाम से संबोधित किए, किन्तु उन्हें गांधीजी द्वारा अंग्रेजों के प्रति मासूमियत नीति कभी नहीं भाया । खुद के घर में नज़रबंदी भी उसे गुलामी लगा और देश के लिए वे वहाँ रातों -रात गायब हो विदेशों में अंग्रेजों के दुश्मन को इकट्ठे किए, क्योंकि वे जानते थे कि दुश्मन के दुश्मन दोस्त होते हैं ।
विदेशों में ‘आज़ाद हिंद फ़ौज’ और देश के लिए ‘फ़ारवर्ड ब्लॉक’ की रचना उन्हीं के हेत्वर्थ था । देश उनके भी अभिन्न प्रयास से अंग्रेजी सत्ता से मुक्ति पाई । आज लोग इनकी तारीफ़ तो करते हैं, किन्तु लोग सुभाषबोस और भगतसिंह जैसे शख़्स को पुत्ररूप में देखना नहीं चाहते, क्योंकि उन्हें ऐसे पुत्र नहीं चाहिए, बल्कि डॉक्टर -इंजीनियर जैसे पुत्र चाहिए, जो परिवार के लिए ‘बैंक’ बने, न कि राष्ट्रभक्त ‘सोशल एक्टिविस्ट’ !
गुलामी को लेकर प्रेमचंद ने ‘गोदान’ में लिखा है- ‘गुलामी के हलुवे से अच्छा सूखे चने चबाना ठीक है’।