पिछड़ों, शोषितों और वंचितों के मसीहा कर्पूरी ठाकुर
पिछड़ों, शोषितों, वंचितों के मसीहा स्व. कर्पूरी ठाकुर के प्रति नमन !
कवयित्री स्वर्णलता ‘विश्वफूल’ की कवितारूपेण श्रद्धांजलि से उत्तम और कोई नमनीय शब्द या शब्दकोश नहीं हो सकते !
वो कविता, जो ‘मंडल विचार’ पत्रिका में 15 वर्ष पहले छपी थी और कालांतर में कवयित्री की कविता पुस्तक ‘ये उदास चेहरे’ में यह संकलित भी हुई, जिसे होते हुए ‘बिहार राष्ट्रभाषा परिषद’ ने सम्मानित भी किया था…. जननायक कर्पूरी ठाकुर सर बिहार के दो-दो बार मुख्यमंत्री भी रहे थे….
बिहार के दो-दो बार मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर जी ने बिहार से मैट्रिक स्तर तक अंग्रेजी में उत्तीर्णता की अनिवार्यता खत्म कर दिए थे । मेरी कवितारूपेण श्रद्धांजलि से उत्तम और कोई नमनीय शब्द या शब्दकोश नहीं हो सकते !
वो कविता, जो ‘मंडल विचार’ पत्रिका में 15 वर्ष पहले यानी 2004 में छपी थी और कालांतर में मेरी कविता पुस्तक ‘ये उदास चेहरे’ में संकलित भी हुई, जिसे लेकर ‘बिहार राष्ट्रभाषा परिषद’ ने सम्मानित भी किया था ।
समस्तीपुर के गरीब हज्जाम के घर 1924 के 24 जनवरी को जन्म लिए कर्पूरी ठाकुर पिछड़ों, शोषितों और वंचितों के मसीहा थे । जेपी को अगर लोकनायक कहा गया है, तो कर्पूरी जी को जननायक । ऐसी शख़्सियत को मरणोपरांत भारतरत्न अलंकरण से सम्मानित किए जाए।