मेरी क्षति
गत रात की आँधी-तूफान ने मिट्टी के घर गिरा दिए, टीन के घरों को उड़ा दिए । पक्के मकानों की वेंटिलेशन को तोड़कर पानी सोते के ऊपर उड़ेल दिए ! खेतों में लगे फसल यथा- गेहूँ, मकई आदि और कटे फसल को तबाह कर दिए । कई हजार पेड़ों को उजाड़ दिए, तो बिजली के तारों और खम्भों को तहस-नहस कर दिए ! पूर्णिया प्रमंडल में 10-15 घण्टे बिजली गायब रही । एक तो कोरोना कहर के कारण लॉकडाउन है, दूजे आँधी-तूफान यानी एक तो नीम तीता, दूजे करेला चढ़ाय । अगर महामारी में इस तूफान की दुःखद स्थितियों को देखिए तो एक और कहावत चरितार्थ होती है यानी कोढ़ में खाज । मेरी भी क्षतियाँ हुई हैं…..