इतिहास

ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार उर्फ मुहम्मद यूसुफ़ ख़ान

दिलीप कुमार उर्फ़ मुहम्मद युसुफ़ खान का जन्म पेशावर (अब पाकिस्तान में)  *11 दिसम्बर 1922* में हुआ था। बाद में उन्होने अपना नाम बदल कर  *दिलीप कुमार*  कर लिया।दिलीप कुमार भावनात्मक रूप से सदा ‍अपने परिवार से जुड़े रहे। पेशावर में दादा-दादी, चाचा-चाची, बहन-भाई सभी एक ज्वाइंट पठान परिवार के सदस्य थे। सरवर खान फलों के थोक व्यवसायी थे। अय्यूब की बीमारी की वजह से उनका सारा परिवार 1926 में मुंबई आ गया।मुंबई में क्राफोर्ड मार्केट में सरवर खान की दुकान थी। यूसुफ की माता आयेशा बेगम को दमे का रोग था। अगस्त 1948 में उनका निधन हो गया। मार्च 1950 में सरवर खान भी चल बसे।  की मृत्यु के बाद परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी दिलीप कुमार ने अपने कंधों पर ली, जबकि सबसे बड़ी बहन सकीना ने घर-गृहस्थी का काम संभाल लिया। 1950 में यह परिवार पाली हिल के बंगले में रहने के लिए आ गया। दिलीप ने इसे 1 लाख 20 हजार रुपए में खरीदा था, जब वे सितारे के रूप में स्थापित हो चुके थे।खान परिवार की सबसे बड़ी बहन सकीना, जो सारे घर की प्रभारी थीं,आपाजी के नाम से पुकारी जाती थीं। वे बहुत सुंदर थीं और ऐन विवाह से पहले चर्म रोग हो जाने के कारण कुँवारी रह गईं। मगर बाद में आपाजी की वजह से ही माता-पिता के देहांत के बावजूद घर की खुशहाली बनी रही। उन्होंने अपने छोटे भाई-बहनों- अहसान, असलम, अख्तर, सईदा, फरीदा और फौजिया को अच्छी तरह शिक्षित किया। यह परिवार अकसर कश्मीर, महाबलेश्वर, पंचगनी और रत्नागिरि छुट्‍टी मनाने जाया करता था।दिलीप कुमार ने अभिनेत्री सायरा बानो से 1966 में विवाह किया। विवाह के समय दिलीप कुमार 44 वर्ष और सायरा बानो 22 वर्ष की थीं।1980 में कुछ समय के लिए आसमां से दूसरी शादी की थी।1980 में उन्हें सम्मानित करने के लिए मुंबई का शेरिफ घोषित किया गया। 1995 में उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1998 में उन्हे पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ भी प्रदान किया गया।
               उन्हें अपने दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता है।दिलीप कुमार ने अपने करियर की शुरुआत साल 1944 में आई
उनकी पहली फ़िल्म *ज्वार भाटा’* थी, जो 1944 में आई।1949 में बनी फ़िल्म *अंदाज़* की सफलता ने उन्हे प्रसिद्धी फ़िल्म में उन्होने दिलाई, इसराज कपूर के साथ काम हो। दूदार (1951) और देवदास (1955) जैसी फ़िल्मो में दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने के कारण उन्हे *ट्रेजडी किंग * कहा गया। मुगले-ए-आज़म (1960) में उन्होने मुग़ल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई। यह फ़िल्म पहले श्वेत और श्याम थी और 2004 में रंगीन बनाई गई। उन्होने 1961 में गंगा जमुना फ़िल्म का निर्माण भी किया, जिसमे उनके साथ उनके छोटे भाई नासीर खान ने काम किया।1949 में बनी फ़िल्म अंदाज़ की सफलता ने उन्हे प्रसिद्धी दिलाई, इस फ़िल्म में उन्होने राज कपूर के साथ काम किया। मुगले-ए-आज़म (1960) में उन्होने मुग़ल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई। यह फ़िल्म पहले श्वेत और श्याम थी और 2004 में रंगीन बनाई गई। उन्होने 1961 में गंगा जमुना फ़िल्म का निर्माण भी किया, जिसमे उनके साथ उनके छोटे भाई नासीर खान ने काम किया।1970, 1980 और 1990 के दशक में उन्होने कम फ़िल्मो में काम किया। इस समय की उनकी प्रमुख फ़िल्मे थी: विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज्जतदार (1990) और सौदागर (1991)। 1998 में बनी फ़िल्म +किला* उनकी आखरी फ़िल्म थी।
उन्होने रमेश सिप्पी फ़िल्म *शक्ति* में  के साथ काम। इस फ़िल्म के लिए उन्हे *फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार* भी मिला।वे आज भी शाहरूख खा़न  समेत बहुत से अभिनेताओ के प्रेरणास्रोत्र हैं।
— अब्दुल हमीद इदरीसी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - [email protected] मो. 9795772415