प्लीज डोंट अनोदर माइंड !
भीड़ उनके साथ होती हैं,
जो लोकप्रिय होते हैं,
किन्तु लोकप्रिय होने का
यह मतलब
कदापि नहीं है
कि वह
ईमानदार भी हो ही !
जो यह कहते हैं
कि उनके ढेर सारे मित्र हैं,
समझिये….
वो चापलूसों से घिरे हैं !
यानी-
‘इ नेतवा लोगन
अपन फ़ोटो
हाथ जोड़े
काहे कु खिंचवाअत है !
कउनो को मालूम ?’
वैसे ‘बामसेफी नास्तिक’ पति देखा है,
जिनकी पत्नी
‘वट-सावित्री’ में लीन रहती हैं,
बावजूद पति उन्हें
तलाक तक नहीं देते !
बचपन से एक प्रश्न मन में
उत्तर पाने को यथावत है-
अगर हम ‘चाँद’ पर बस गए,
तो किसे देख ‘ईद’ मनाएंगे ?
प्लीज डोंट अनोदर माइंड !