गजल
बदला नहीं अभी कुछ भी तो नया साल क्यो कहा।
झूठ भी कहा जो तुम तो इतना कमाल क्यो कहा।
चेहरा ने कर लिया बयां अब ने क्यो मुझसे
अच्छा है मेरा ऐसा हाल क्यों कहा।
सुनी तो उसमें ज़बाब खुद बा खुद है मौजूद
बिना सुने तुमने उसको अजीब सवाल क्यो कहा
मैने नहीं कुछ किया नहीं फिर आपने क्यो
की मेरी नादानी को आपने कमाल क्यो कहा