घांटा और उपवास
चक्की मिल तो
सोशल डिस्टिनसिंग के कारण तो
जानी नहीं है….
गेहूँ के दर्रे तैयार करने में
माँ जुटी हैं,
आज का खाना घांटा होगी….
और बनेगी
तब न खाएंगे….
अबतक उपवास में हूँ !
आजकल तो सभी कष्ट में है,
कोई कम,
कोई ज्यादा !
जब कोई कष्ट में होते हैं,
परिवार और मित्र नहीं,
सबसे पहले
अपना विवेक ही काम आते….
फिर भी दिन को नहीं खा सका….
कई दिनों के बाद गेहूँ की रोटी
और घर के पेड़ की
सहजन की सब्जी
खाने को मिली है….
आजकल कई परेशानियाँ हैं,
पूर्ण निदान किसी के पास नहीं है !
सहने और एकांत रहने की
आदत डाल चुका हूँ !