कविता

विकास दिवस

आइए विकास दिवस मनायें
दिवस मनाने की भी
औपचारिकता निभाएं।
क्योंकि औपचारिकता निभाने के
तो हम उस्ताद हैं,
विकास की गंगा का
मीठा मीठा स्वाद है।
विकास तो विकास है
अपना हो या समाज
या फिर राष्ट्र का।
आखिर विकास तो जरूरी है
हम सबकी मजबूरी है,
इसलिए विकास का रोडमैप
बहुत जरुरी है,
मेरे घर से होकर
उसका निकलना जरूरी है।
तभी तो विकास की गंगा बहेगी,
समाज ,राष्ट्र का विकास
तो होता रहेगा,
मेरी तिजोरी का भर जाय
तभी तो मेरा विकास होगा।
तो आइए !विकास दिवस मनाएं
अपने विकास का रोडमैप
मिलकर बनाएं।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921