हे कोरोना ! तुम कब जाओगे ?
दूरियाँ रखकर भी
प्रेम प्रदर्शित की जा सकती है !
अदृश्य दुश्मन से
लड़ने के लिए भावुक न बने,
परिजनों और प्रियजनों में
दूरियाँ रखें !
खाद्यसामग्री और रुपये की
अचानक किल्लत होने पर
कुछ मित्रों
और समाजसेवियों को
मैसेज भेजा,
पर सहयोग नहीं मिला !
यह है सोशल डिस्टेंसिंग !
हे कोरोना !
तुम कब जाओगे ?
मैं मर्द नहीं हूँ,
न ही मर्द का बच्चा !
इसलिए तुमसे लड़ नहीं सकता !
अभी सोशल डिस्टेंसिंग है,
समाजसेवा की बात करना
बिल्कुल बन्द !
अदृश्य दुश्मन से
अभी अपनी जान बचा रहा हूँ,
परिवार का नहीं !