अवसर
ये लाकडाउन नहीं अवसर है
इसके अंदर कल-बल-छल है
कितनों की रोटी सेंक रहा है
कितनों की रोटी फेंक रहा है
जनसभा में पास नहीं आता
निजी कार्यों से ये,नहीं जाता
चुनावी रैलियों से ये डरता है
जनता के अरमान में रहता है
ये लाकडाउन नहीं अवसर है
इसके अंदर बहुत हलचल है॥
©️रमेश कुमार सिंह रुद्र®️