विचार विमर्श- 7
इस शृंखला के इस भाग में कुछ विचार होंगे और उन पर हमारा विमर्श होगा. आप भी कामेंट्स में अपनी राय लिख सकते हैं-
1.जो चुप रहते हैं क्या वे बेवकूफ होते हैं?
जो चुप रहते हैं वे बेवकूफ नहीं होते हैं, वे सही समय पर सही बोलने का मंथन कर रहे होते हैं. कहा भी जाता है, कि चुप्पी सबसे अच्छी दोस्त है, कभी धोखा नहीं देती. चुप रहने के कई मायने होते हैं. आपको उन सभी चीजों के बारे में चुप रहने में सक्षम होना चाहिए जो केवल आपके लिए ही मायने रखती हैं. चुप रहने से पहले तीन बार सोचें, और फिर चुप रहें. यह सोचना अत्यावश्यक है, कि कहीं चुप रहने को आपकी कमजोरी तो नहीं माना जा रहा? कभी-कभी चुप्पी का अर्थ कठोर आलोचना भी होता है. बुद्धिमान व्यक्ति तब तक चुप रहते हैं, जब तक वे एक शब्द बोलना भी उपयुक्त नहीं समझते. अंत में दो पंक्तियां हमारी एक कविता से-
”मौन में भी तरन्नुम होता है,
मौन का परिणाम मुखर होता है.”
2.क्या जीवन में सफलता चाहिए हेतु पढ़ने के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं है?
जीवन में सफलता चाहिए हेतु पढ़ना या शिक्षा प्राप्त करना एक अच्छा विकल्प है, पर यह नहीं कहा जा सकता कि जीवन में सफलता चाहिए हेतु पढ़ने के अतिरिक्त कोई रास्ता ही नहीं है. सफलता के लिए ज़रूरी है खुद को जानना. सफलता क्या है? हर किसी की सफलता की परिभाषा दूसरों से भिन्न है, इसलिए हर किसी की सफलता की व्याख्या अलग होती है. कुछ के लिए यह मन की एक अवस्था है, कुछ के लिए भौतिक सुख, तो कुछ के लिए एक निश्चित पद को पाना और कुछ के लिए समाज में कुछ बड़ा कर नाम और शोहरत पाना. मेरे विचार से सफलता कभी पूर्ण नहीं होती है बल्कि यह सापेक्ष होती है. सफलता के लिए अपने गुण, अपनी सामर्थ्य, अपनी कमजोरी का पूरी ईमानदारी से, शान्त चित्त होकर मनन करें. इस सम्बन्ध में अपने बुजुर्गों से भी राय ले सकते हैं. अपने अच्छे शुभचिन्तक मित्रों से भी राय- मशविरा किया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे, आप का स्वयं का आकलन, आप से अच्छा कोई नहीं कर सकता है. जीवन में सफलता, अपनी पसन्द के व्यवसाय-प्रोफेशन में ही सम्भव है, इस बात को बहुत अच्छी तरह समझ लेना चाहिए. इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. यही सकारात्मक ऊर्जा सफलता दिला सकती है. यह अवश्य है, कि कोई भी काम करने में सफलता चाहिए हेतु पढ़ना एक अतिरिक्त योग्यता हो सकती है और लाभकारी भी. मसलन व्यवसाय, खेती,कुटीर उद्योग आदि में पठन-पाठन से तकनीकी ज्ञान भी मिल सकता है और नई-नई जानकारियां भी. इनसे सफलता मिलने में सहयोग मिलता है. अतः यह कहना तर्कसंगत होगा, कि जीवन में सफलता चाहिए हेतु पढ़ने के अतिरिक्त और भी बहुत-से रास्ते हैं, लेकिन जीवन में सफलता चाहिए हेतु केवल मात्र पढ़ना ही एक रास्ता नहीं है,और भी कई रास्ते हैं.
3.बाइडन से भारत को क्या-क्या उम्मीदें हैं?
डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत चुके हैं. उनकी जीत की ख़ुशी में इस समय पूरा अमेरिका जश्न मना रहा है. नये राष्ट्रपति से अमेरिका के लोग काफी उम्मीदें लगाये बैठे हैं. कोरोना महामारी की वजह से जिनकी नौकरियां छूट गई हैं वे अब जो बाइडन की ओर नौकरी के लिए उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं. जो बाइडन और कमला हैरिस को उनकी अभूतपूर्व जीत पर भारत ने भी हार्दिक बधाइयां दी हैं. स्वभावतः भारत और भारतीय भी बाइडन की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं. अमेरिका की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले एक्सपर्ट्स के मुताबिक डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडन का बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति चुना जाना एच1बी वीजाधारकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि बाइडन शुरू से ही इस बात पर बल देते आये हैं कि अमेरिका में एच1बी वीजाधारक समेत उच्च कौशल (हाई स्किल्ड) वाले वीजा की संख्या को बढ़ाया जाए. बाइडन प्रशासन किसी देश के कितने व्यक्तियों को रोजगार आधारित वीजा दिया जा सकता है, उसकी सीमा को भी खत्म करने की योजना पर भी काम कर रहा है. ऐसे में अगर बाइडन ऐसा कोई कदम उठाते हैं तो इससे हजारों भारतीय आइटी प्रोफेशनल्स को फायदा होगा. इ.सके अतिरिक्त ग्रीन कार्ड वीजा की सीमा अवधि भी बढ़ाई जा सकती है. उद्योग जगत ने उम्मीद जताई है कि बाइडन के नेतृत्व में भारत-अमेरिका के बीच संबंध और सहयोग और मजबूत हो सकेगा. फिलहाल तो मास्क पहनने पर जोर देते हुए अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले कोरोना महामारी से निपटने के लिए कोविड-19 टास्क फोर्स का गठन किया है. उन्होंने कहा कोरोना महामारी से निपटना उनके प्रशासन की पहली प्राथमिकता है. भारत को बाइडन से विदेश नीति पर सहमति से लेकर व्यापार नीति में सहयोग की अनेक सकारात्मक उम्मीदें हैं. भारत भी इस ओर अपनी पहल जारी रखेगा.
4.क्या प्रेम से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है?
प्रेम जीवन का सार है, जगत का सार है, प्रकृति का सार है. प्रेम के बिना सृष्टि की सृजन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. सागर-से गहरे, पर्वत-से ऊंचे प्रेम ने सदियों से कवियों और गीतकारों को सम्मोहित किया है. प्रेम शब्दों से परे है, इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है. हर युग में प्रेम था, है और रहेगा. प्रेम इबादत है, प्रेम ही पूजा है, प्रार्थना है, एक नशा है जो उतरते नहीं उतरता, समय के साथ-साथ और गहरा होता जाता है. प्रेम और इसकी कथाएं दोनों ही अनंत है. प्रेम से बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है. इसके बावजूद हमारे मनीषियों ने उपाय-चतुष्ठय’ (चार उपाय) साम-दाम-दंड-भेद बताए हैं. ‘साम’ का अर्थ है ‘शांति और समझदारी के साथ व्यवहार’. जो काम साम अर्थात प्रेम, शांति और समझदारी से नहीं हो पाते, वहां कभी-कभी दाम-दंड-भेद से काम लेना आवश्यक हो जाता है. अतः सृष्टि को संयमित और संतुलित रखने के लिए प्रेम के साथ-साथ दाम-दंड-भेद का भी प्रावधान किया गया है. प्रसंग और स्थिति के अनुसार प्रेम का प्रयोग करने की अपेक्षा रखते हुए भी प्रेम की शक्ति को सीमित नहीं किया जा सकता है. प्रेम ही सृष्टि का सार है और इसकी शक्ति अपार है.
मन-मंथन करते रहना अत्यंत आवश्यक है. कृपया अपने संक्षिप्त व संतुलित विचार संयमित भाषा में प्रकट करें.
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इंद्रेश उनियाल द्वारा प्रेषित कुछ आयुर्वेदिक दोहे-
1- दही मथे माखन मिले, केसर संग मिलाय,
होठों पर लेपित करे, रंग गुलाबी आय!
2- बहती यदि जो नाक हो, बहुत बुरा हो हाल,
यूकेलिप्टिस तेल लें, सूँघें डाल रूमाल!
3- अजवाइन को पीसिये, गाढ़ा लेप लगाय,
चर्म रोग सब दूर हों, तन कंचन बन जाय!
4- अजवाइन को पीस लें, नींबू संग मिलाय,
फोड़ा फुंसी दूर हों, सभी बला टल जाय!
5- ठंड लगे जब आपको, सर्दी से बेहाल,
नींबू मधु के साथ में, अदरक पीएं उबाल!
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घड़ीसाजों की घड़ियों में अक्सर क्या टाइम होता है? कारण भी लिखिए।