कविता

प्यार की खुशबू

आइए बाँटते हैं
प्यार की खूशबू,
ऊँच नीच,छोटे बड़े
जाति,धर्म, सम्प्रदाय को भूल
सबसे हिलमिल कर रहें
सुख दुःख में सहभागी बने
निंदा नफरत भूलकर
सुंदर, सरल,निर्मल संसार बनायें
जीवन में प्यार की खुशबू फैलाएं।
कोई नहीं है दुश्मन मेरा
सब अपने हैं भाव ये मेरा,
सब के मन में प्यार जगायें
एक नया संसार बनाएं,
सबके दिल में जग बनाएं
नहीं पराया कोई यहां पर
हम ऐसा सदभाव बनाएं,
आओ जीवन में हम सब
जन जन में विश्वास जगायें
प्यार की खूशबू फैलाएं
एक नया संसार बनाए
सबके जीवन को महकाएं।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921